Wednesday, May 27, 2009

मस्त काम कहानी - २

मैंने सिर हिला कर नहीं का इशारा किया। मेरे कंधों पर हाथ रख कर बोली "आई एम सॉरी राज। मैंने सब गलत बोला था। मेरे पास मेरा कुंवारापन है और तुम्हारे पास तुम्हारी बीवी और"

"सॉरी" मैंने कहा।
"नहीं सॉरी तो मुझे कहना चाहिये। मैं तुमसे प्यार करना चाहती हूं। मैं तुमसे लिपटना चाहती हूं। तभी तो जब से मुलाकात हुयी है

मैं तुम्हारे से फ्र्लट करती रही हूं। मैं तुम्हें इस लिये एक दोस्त की तरह खोना नहीं चाहती कि हम प्रेमी बन गये हैं।" "यह तो सबसे बड़ा झूठ है। प्रेमी दोस्त भी तो होते हैं" मैंने कहा। मैंने सिर घुमाया परन्तु अपनी नज़रें ज़मीन पर टिकाये रखीं। "राज मैं सच में सॉरी हूं" उसने कहा। "पर मैं इस से डरती हूं। तुम्हारा मनोभाव मुझे डराता है। मेरा तुम्हारे लिये मनोभाव भी मुझे डराता है। मेरा तुमसे प्यार करने का इतना मन कर रहा है कि मैं ख़ुद डर रही हूं। राज अगर तुम मेरे से प्यार करना चाहते हो तो मैं भी तैय्यार हूं। बस मुझे यह सिखाओ कि मैं इससे डरूं ना।" "क्या मैं तुम पर विश्वस कर सकता हूं" मैंने अपनी सुरक्षा के लिये कहा। "तुम भी मेरे जितने डरे हुये हो।" रिचा ने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे कुरसी पर वापिस बिठाया और मेरे गाल पर चुम्मा लिया। फिर हल्के से मेरे कान में फुसफसाई "राज आई लव यू।" "आई लव यू रिचा" मैंने कहा। हमने एक दूसरे को चूमना शुरू किया। यह चुम्मियां गहरी और देर की थी जबकि पहले की उतावलेपन की थी। यह मदभरी थीं जबकि पहले की कामनावस्त थीं। हमारी जीभें आपस में नाच रहीं थी। जैसे समुद्र के तट पर रेता ज्वार भाटे से खिसकती है। जैसे हवा में वृक्ष के पते लहराते हैं। रिचा कुर्सी के पीछे से आगे आई और मेरी बांहों के सहारे मेरी गोद में बैठ गयी।

हमने अपनी सांसे खींची और फिर से चुम्मियां लेनी शुरू कर दीं होठों को चिपका कर। मैंने अपने जूतों को झटके से उतारा और उसकी एक सैंडल उतारी। मुझे दूसरी सैंडल गिरने की आवाज़ आई और एहसास किया कि रिचा मेरी बैल्ट खींच रही है। वह मुस्कराई मेरी बैल्ट खोली और पेंट का उपर का बटन खोल दिया। मैंने उसकी पीठ पर हाथ ले जा कर एक हाथ से कमीज़ के हुक खोलने शुरू किये और दूसरे हाथ से उसके गोल गोल रसभरे मम्मों पर रख कर उन्हें परखने लगा। रिचा ने अपना हाथ मेरी पैंट में घुसा कर मेरे लिंग को सहलाना शुरू कर दिया। उसकी हाथ की गर्मी से मेरा लिंग तनना शुरू हो गया। "ऊॅह कितना बड़ा है" उसने कहा हैरानगी की एक्टिन्ग करके। अपना मूंह को गोल आकार का कर के अपने होंठों से चटकारे मार के वह मुस्कराई। ज़ुबान को अपने होंठों पर बड़े सैक्सी तरह से फेरा। मैंने अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और आहिस्ता से उसकी कमीज़ को ब्रा में कसे मम्मों के उपर से खिस्काई। मैंने उसे अपने सीने से चिपका कर ब्रा के हुक खोले। ब्रा उतारने के लिये वह पीछे हुई और अपनी बांहों को उपर उठाया। ब्रा उसके उभरे मुलायम मम्मों पर अटकी हुयी थी। "उतारो" उसने मुझे कहा। मैंने उसकी बांहों के उपर से स्ट्रैपों को खिसकाया और ब्रा साथ में उतर आई। उसके मम्मे बहुत सुन्दर भरे नर्म पर मज़बूत थे। मेरी आंखों के सामने सुन्दरतम गोले झूम रहे थे और उन गोलों पर प्यारे प्यारे निप्पल खड़े थे और निप्पलों के आस पास हल्के भूरे गुलाबी उभरे हुये स्तन परीवेश जैसे कि चूसने के लिये उतावले हो रहें हों। मैंने रिचा की ठोड़ी को चूमा फिर उसकी गरदन को चाटा और हल्के से उसके निप्पलों का चुम्मा लिया। पहले बांये वाले को फिर दांये को। उसने मेरी कमीज़ की बटनों की तरफ हाथ बढ़ाया पर मैंने उसे रोका और कहा "पहले ऐसे ही मज़ा लेते हैं। हमें समय की कोई कमी नहीं है।" मैंने उसे खड़ा हो कर घूमने के लिये कहा जिस से उसकी पीठ मेरी तरफ हो गयी। फिर नटखट तरीके से उसकी सलवार के कपड़े को नितम्बों के बीच फसा कर ऊपर से नीचे तक सहलाया। "ऐ" वह बोली और जब मैंने उसे अपनी तरफ खींचा तो अचानक मेरी गोद में बैठ गयी। मैंने उसके कूल्हों को रास्ता देते हुये इस तरह से बैठाया कि मेरा लिंग उसके नर्म नितम्बों के बीच फस गया। वह समझ गयी और मुड़ कर मेरा एक जबरदस्त चुम्मा लिया।

मेरे हाथ उसके मम्मों पर गये और मैंने उनसे खेलना शुरू किया। मैंने उन प्यारे प्यारे मम्मों को मला गुदगुदी की मालिश की दबाया और निप्पलों को अंगुठे व अगुली के बीच चुटकी काटी। मम्मों को उठाया और नर्म मुलायम पेट पर हाथ फेरा। उसे यह सब बहुत अच्छा लग रहा था और इसका सबूत था उसकी सिस्कियां और उसका निढाल तरीके से लेटना। अपने नितम्बों का मेरे लिंग पर रगड़ना। मैं भी उसकी प्यारी देह को छाती से जांघों तक और कंधे से हथेलियों तक सहला रहा था पर मैंने जान बूझ कर उसकी लातों के बीच हाथ नहीं लगाया। मैंने फैसला कर लिया था कि मैं रिचा की योनी को तब तक नहीं हाथ लगाऊंगा जब तक वह इसकी विनती नहीं करती या कम से कम जब तक उसका पानी नहीं छूटता। रिचा के प्यारे मम्मों के साथ खेलने के बाद मैंने उसे घूम कर बैठने को कहा। उसने अपनी लातें चौड़ी की और मेरी लातों को बीच में ले कर वापिस मेरी गोद में बैठ गयी। उसके कूल्हे मेरी जांघों पर आराम कर रहे थे। उसने जल्दी से मेरी कमीज़ के बटन कोलने शुरू किये और मेरे कंधों से खिसका कर उतार दी। रिचा ने मेरी छाती पर हाथ फेरने शुरू किये और मेरे निप्पलों की च्यूंटी काटी। हंसते हुये बोली "जो तुमने किया वही तो कर रही हूं"। मेरी छाती और पेट की मालिश करते हुये मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरे पत्थर जैसे सख्त लिंग को बार बार छू रही थी। साथ में बीच बीच में मेरी गर्दन और कनपटी की चुम्मियां ले रही थी। मैंने अपनी बंाहें उसके पीछे ले जा कर उसके नर्म नर्म नितम्बों को दबाया जैसे आड़ूआें को नर्म कर रहा हूं। मैंने उसके कूल्हों के बीच अपना हाथ किसकाया और दरार को ऊपर नीचे सहलाने लगा। वह जैसे नशे में कांपने लगी और मेरे कभी दांयें कभी बांये निप्पल को चूसने व हल्के से काटने लगी।

उसने मेरा ज़िप नीचे खिसकाया और मेरे लिंग को अन्डरवीयर के ऊपर से सहलाना शुरू किया। मैंने उसकी पीठ के सहारे उसे उठाया और उसके मम्मों को एक भूखे आदमी की तरह चूसने लगा। बीच बीच में निप्पलों को चाटता था या प्यार से दांतों के बीच काटता था। मैैं हस रहा था और वह सी सी की आवाज़ें कर रही थी। अचनक मैंने जब जोर से मम्मों को मसला तो बोली "हाय इतनी जोर से नहीं। गुदगुदी होती है।" मैं एक सेकन्ड के लिये रूका और फिर से उसके मम्मों और निप्पलों को ज़ुबान से छेड़ छाड़ करने लगा। "हॉ इनको प्यार से चूसो। क्या तुम दोनें निप्पलों को मूंह में ले सकते होऋ" यह एक ऐसा चैलेन्ज था जो मैं कैसे जाने देता। मैने उसके दोनें बुब्बों को हाथ में लिया और दोनों निप्पलों को साथ साथ चूसना शुरू कर दिया। वह इतनी उतेजित हो गयी कि सी सी करके उसकी योनी मेरे लिंग पर धक्के लगने लगी। "क्या तुम्हारे निप्पलों का तुम्हारी योनी के साथ सीधा कन्नेक्शन है" मैंने पूछा। "हां मेरी जान" उसने कहा "पर इस बात पर निर्भर करता है कि निप्पल के साथ प्यार कैसे किया जाता है। तुम्हारी ज़ुबान ते बिजली के करंट की तरह मेरे मम्मे और पुसी में खुजली मचा रही है। प्लीज़ मुझे योनी शब्द से शर्म आती है। इसे पुसी कहिये ना।" मैं अचानक रूक गया। हम दोनों की सांसे फूली हुई थी। समय आ गया था।

चुपचाप हम उठे और मैंने उसकी सलवार को नीचे खींचा। मेरे हाथ उसके गोल स्लिम नितम्बों पर गये और मैंने उनकी नर्मी का मज़ा लिया। मैने उसे कमर से झुकाया और पहले दांयी गोलाई को चूमा और फिर बांयी को। मेरे हाथ उसकी लटकती चुचियों के साथ खेल रहे थे। उस समय में उसने मेरी पैन्ट उतार दी। फिर मेरे अन्डरवीयर के ऊपर से मेरे लिंग पर झपटा मारा और ऐसे पकड़ा जैसे उसे इससे अत्यंत मजा मिल रहा हो। पर ज़्यादा देर न कर के उसने मेरे अन्डरवीयर को नीचे करके उतार दिया। मेरा लिंग बाहर निकल कर तन्ना कर उसकी तरफ फ़ूंकार मारने लगा। मैं सीधा खड़ा हो गया। रिचा ने ऊपर देखा और लिंग को लटकते देख कर उसके सिरे को अंगुली से छूआ और र्वीय के कतरे को अंगुली पर ले कर उसे ज़ुबान से चखा। "म्म्म्म्म्म्म। स्वाद भी अच्छा है। कितना मोटा और लम्बा लिंग है" उसने कहा। रिचा घुटनों के बल मेरी लातों के बीच बैठ गयी मेरी तरफ देख कर मुस्कराई और बोली "मैं इसको इतना प्यार करूंगी कि आप को जन्नत का मज़ा आ जायेगा। इतना टेस्टी है कि मैं लगातार इसे चूसती रहूंगी।" उसने मेरे लिंग को नीचे से ऊपर तक अपनी ज़ुबान के साथ चाटा फिर अपनी ज़ुबान को टोपे पर घुमाया। फिर उसे अपने मूंह में ले कर अपने सुन्दर होंठों से लपेट लिया। उसके गीले मूंह का र्स्पश सचमुच जन्नत के बराबर था। रिचा ने अपने हाथ मेरे नितम्बों पर रख कर उन्हें दबाया और मेरे नितम्बों को स्थिर रख कर अपना मूंह मेरे लिंग पर ऊपर नीचे खिसकाने लगी।

"राज मुझे तुम्हारे लिंग के सिरे से र्वीय का स्वाद आ रहा है" वह बोली मेरे लिंग को चाटते हुये। मैंने उसके बाल सहलाते हुये कहा "रिचा डार्लिंग कैसा लग रहा है।" मुझे तुम्हारा लिंग बहुत प्यारा लग रहा है। उसका स्वाद और स्पर्श अन्दर बाहर जाते हुये बहुत सेक्सी लग रहा है। यह मुझे बहुत उतेजित कर रहा है।" मेरी पुसी बिलकुल गीली हो गयी है।" रिचा ने मेरा लिंग अपने मीठे होंठों के बीच फिसलाया। वही अधर जिन्हें मैं कुछ देर पहले चूम रहा था। जैसे ही उसका मूंह मेरे लिंग पर ऊपर नीचे होना शुरू हुआ मैंने उसके मूंह को चोदना शुरू कर दिया। उसने प्रोत्सहन देने कए लिये मेरे नितम्बों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। मैंने और गहरे धक्के लगाने शुरू किये और मुझे लगा जैसे मेरा लिंग उसके गले तक पहुंच रहा है। वह उतेजना में मेरा मीट खा रही थी और मेरी जांघों और अन्डकोशों को सहला रही थी। "मैं इन अन्डों को खा जाउंगी। इनको चूसने से मेरी पुसी की खुजली और भी बढ़ती है।" रिचा को सचमुच लिंग चूसना बहुत अच्छी तरह आता था और कुछ ही देर में मेरी तोप शूट करने को तय्यार थी। "ओहहहह मैं छूटने वाला हूं। मेरा लिंग पिचकारी चलाने के लिये तैय्यार है।"

"म्म्म्म्म्म्म्फ्फ"

रिचा ने अपने होंठों और ज़ुबान की क्रिया तेज़ कर दी। एक हाथ मेरे अन्डों के साथ खेल रहा था और दूसरा मेरे नितम्बों को खींच रहा था जब मेरा लौड़ा उसके मूंह में पूरा धसा हुआ था।

"ओह रिचा। हां। मेरा निकल रहा।।।।। बहुत ज़्यादा निकलेगा।।।।।।।।"

मेरी तोप चली। मैंने र्वीय की पिचकारी उसके मूंह और गले में चलायी। उसने मेरे गन्ने को और चूसा और मेरे सारे रस को पीती रही। एक हाथ से मेरे अन्डों को सहलाती रही जैसे उनको निचोड़ कर खाली कर रही हो। जैसे वह चूसती जा रही थी मेरा लिंग सैन्सिटिव हो गया परन्तु उसके गर्म और गीले मूंह में तन्नाया रहा। मैं आराम करने को पीछे हुआ अपने माथे से पसीना पौंछा। "रिचा तुमने तो सचमुच जन्नत दिखा दी है। मैं हैरान हूं कि तुम इतनी अच्छी कॉक सकर हो। मैं तुम्हारी बड़ाई कर रहा हूं। तुम्हारा मूंह इतना काबिल होगा यह तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था।" उसने गन्ने को और टोपे को फिर चाटा मुझे देख कर मुस्कराई और बोली "मैंने पहली बार किया है। राज अब मेरी पुसी का कुछ करो। तुम्हारे लिये बिलकुल गीली है।" मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और चुम्मियां लेते हुये उसके होंठों से लातों के बीच उसके सैक्सीपन का स्वाद लेते हुये पहुंचा। मुझे उसकी उतेजना की खुशबू आ रही थी। जैसे ही मैंने अपने होंठ उसकी चुत के उभार पर रखे तो वह बोली "यह क्या कर रहे हो। पुसी तो गन्दी जगह होती है।"

मैंने कहा "नहीं। यह तो स्वर्ग जैसी है। देखो मेरे लिये कितनी गीली है। मैं इसका जितना रस पीना चाहूं पियूगा।" मैंने पुसी को चाट कर कहा "तुम्हारी योनी का शहद कितना मीठा है।" रिचा कराही मेरा लिंग पकड़ा बिना मेरे मूंह को हटाये घूमी और लिंग को फिर मूंह में ले लिया। उसकी झांटों के बीच योनी के गुलाबी सूजे होंठ साफ दिख रहे थे। मैं उन्हें निहार कर और उतेजित हो रहा था। मैंने फिर चाटना शुरू कर दिया। उसकी सिस्कियंा और तेज़ हो गयी। मैंने उसकी लातों को उठा कर उसके कंधे की तरफ मोड़ा। उसकी योनी की पंखुड़ियां गुलाब के फूल की तरह फैल गयी जैसे मुझे अमृतपान के लिये आमन्त्रित कर रही हों। मैंने भी निश्चय कर लिया कि मैं रिचा को उस र्चम सीमा तक पहुंचाउंगा जिसे उसने कभी पहले पार नहीं किया हो। मैंने उसकी योनी की दरार के दोनों तरफ अपने अंगूठे रखे और पंखुड़ियों को खोला। जैसे मैं अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ा तो मैंने देखा कि रिचा मेरे उ ेशय के लिये बिलकुल तैय्यार थी। गीलपन उसके शहद छोड़ने वाले सुराख से निकल कर सुराख के नीचे इकठ्ठा हो गया था। उसकी उतेजना की गंध मेरे नाक तक पहंुची और मैं अधिक इंतज़ार नहीं कर पा रहा था। मैंने अपना मूंह उसकी योनी पर रखा और उसके प्यार के रस को पीना शुरू कर दिया। मैंने उसकी पुसी के पट खोल कर अपनी ज़ुबान उस की योनी में घुसा दी। पुसी बहुत रसभरी थी।

"वाह क्या स््वाद है" मैंने कहा। मेरी टिप्पनी कोई इतनी खास नहीं थी पर मैं र्शत लगाने को तैय्यार हूं कि कोई एक खूबसूरत लड़की का स्वाद लेते हुये कोई मज़ेदार बात नहीं कर सकता खासकर जब वही लड़की अपनी प्रतिभाशाली ज़ुबान और होंठ आप के लिंग पर चला रही हो। उसने अचानक मेरे लिंग को छोड़ा और छटपटाने लगी। उसका जिस्म ऊपर नीचे जाने लगा जिस से मेरी ज़ुबान उसकी भग शिश्न पर रगड़ने लगी। उसकी यह हरकत और भी तेज़ होने लगी और मेरी ज़ुबान उसकी रसभरी योनी में फिसल कर जाने लगी। अब तक योनी उतेजना से और भी चौड़ी हो गयी थी। "मेरी पुसी को टंग फक करो। अपनी ज़ुबान अन्दर बाहर डालो" उसने कहा। मैंने उसे निराश नहीं किया। मैंने उसकी प्यारी लातों को और पीछे किया कि वह अब उसके कंधों तक पहुंच गयी थी। फिर उसके हाथों को पकड़ कर उसके नितम्बों पर लाया और कहा "अपनी योनी को मेरी ज़ुबान के लिये खोले।" उसने वही किया। मैंने अपने हाथों में उसकी चुचिया पकड़ी और उसके निप्पलों को चुटकी मार कर उसकी उभरी उतेजित योनी में अपनी ज़ुबान को आरी की तरह चलाना शुरू कर दिया। "ऊऊऊऊऊ हाय मां उफ। और करो। खा जाओ मेरी पुसी को। मेरै पुसी बस आपके प्यार के लिये बनी है। ज़ालिम और मत तड़पाओ। और चूसो। टंग फक करो।"

वह बिलकुल झड़ने की अवस्था में थी और जोर जेर से ऊपर धक्के लगा रही थी। मैंने अपनी ज़ुबान उसकी योनी को नीचे से ऊपर तक फिराया। जैसे मैं ऊपर की तरफ पंहुचा मेरी ज़ुबान ने उसकी भग शिश्न जो तन के खड़ी थीेंें को सहलाया तो उसने बहुत जोर से हाय की और उसकी देह एकदम ऊपर उठी। मैंने अपनी ज़ुबान उसकी भग शिश्न पर रख कर अपना सिर जोर से हिलाया। फिर मैंने भग शिश्न को होंठों के बीच भीच कर अपनी एक अॅगुली उसकी योनी में घुसाई। धीरे धीरे अंगुली को अन्दर बाहर करने लगा ताकि और भी किसी चीज़ के लिये तैय्यार कर सकूं। उसने उतेजित आवज़ में कहा "हां राज मेरी पुसी को फिन्गर फक करो। मेरी पुसी लगतार झड़ना चाहती है।" मैंने रिचा की ज़ायकेदार भग शिश्न को चाटता रहा उसके स्वाद भरे योनी रस को पीता रहा और अपनी अगुली को उसकी योनी में चलाता रहा। फिर मैंने उसके गर्म गर्म दरार में एक और अंगुली घुसाई और दो अंगुलियों से फक करना शरू कर दिया। रिचा जोर से कहराई और अपने मम्मों को दबाया अपने निप्पलों को खींचों और अपने दूध भरे बुब्बों को मसलने लगी। उसकी देह ने झटके खाने शुरू कर दिये और साथ में अपनी योनी को मेरी ज़ुबान पर रगड़ने लगी। रिचा ने अपनी लातें मेरे सिर पर लपेट लीं और कहरा कर बोली " मेरी पुसी और बदन को आग लगी है। ओह राज। हाय राज। चूसो। मेरी पुसी चूसो। मेरी गीली पुसी को और चूसो। मेरी योनी को खा जाओ।" उसके नितम्ब झटके खाने लगे और अपनी योनी को मेरे दांतों के साथ रगड़ने लगी। उसने उतेजन में बोला "मेरे जानूें मेरी योनी और चूसो। ओह हां। बहुत अच्छा ल्ग रहा है। और अंगुलियां डालो।" मैंने एक और अंगुली डाली और तीन अंगुलियों से चोदना चालू कर दिया।

"चाटते रहो। मुझे कुछ हो रहा है। एक तूफान पैदा हो रहा है। मैं आई। मैं आई। हाय रब्बों कितना मज़ा आ रहा है। मेरा निकल रहा है। चाटो। पुसी को चूसो। चूसते रहो। मेरी योनी में आग रग रही है। इसे बुझओ। ओह राज अपनी अंगुलियां और तेज़ चलाओ। दूसरे हाथ से मेरे नितम्ब दबाओ। उउउह । और। और।" रिचा के शरीर ने एक जबरदस्त झटका लिया और वह निढाल हो गयी। मैं उसकी योनी चाटता रहा और उसके स्वादिश्ट रसों को पीता रहा। वह धीरे धीरे झटके लेती रही और मेरे नाम को पुकारती रही। इतने समय उसकी लाता नेें मेरे सिर को अपनी कैद में रखा और मेरा मूंह उसकी योनी के साथ चिपका रहा। जब उसे वापिस होश आया तो बोली "राजें मेरे जानू। तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी। मुझे पता है कि तुम चूसते ही नहीं चोदते भी बहुत अच्छी तरह से।" मेरा लिंग फुन्कारे मार रहा था। जिस शहद भरी दरार को मैं इतने प्यार से चाट रहा था अब वह उसमें घुसना चाहता था। मैंने कहा "यह तो केवल शुरूआत है।" "क्या तुम अपना गर्म गर्म लोड़ा मेरी पुसी में डालोगे। मेरी पुसी तुम्हारे लिये जूस से भरी हुयी है। जल्दी से अपना लोड़ा मेरी पुसी में डालो" उसने मांग की। मैं उठा और रिचा को खड़ा कर के उसे चूमना शुरू किया। अपने शरीरों को रगड़ रगड़ कर उतेजना की एक और सीमा पार की। फिर मैंने उसके हल्के शरीर को उठाया और सीधे करके बिस्तर पर लिटा दिया।

"क्या करने की तैय्यारी हो रही है" उसने मुस्कराते हुये पूछा।

"आराम से लेटो रिचा। अब फक करने का समय आ गया है। मैं अब तुम्हें चोदूंगा।" रिचा ने जल्दी से हां की और अपनी गर्म गर्म छोटी देह को उछालने लगी। उसकी योनी कारोड़ों की लग रही थी। "राज मैं तुम्हारे इस बड़े लौड़े से चुदवाने की और इन्तज़ार नहीं कर सकती।" वह मुस्कराई और बोली "आहिस्ता शुरू करना। मेरी पुसी अभी कोरी तक कोरी है। इसे पहले चौड़ी करो। इसे अच्छी तरह गीली कर दो ताकि जब तुम अपना घोड़े का लिंग इसमें डालोगे तो यह फट ना जाये।" उसने अपने छोटे छोटे हाथों में मेरा लिंग पकड़ा और जैसे मैं उसकी तरफ झुका उस ने मेरे लिंग को अपनी योनी की दिशा में लगाया। कराह कर बोली "आहिस्ता आहिस्ता। मेरी योनी को तुम्हारेे बड़े डन्डे की आदत पड़ने दो। बाद में जितनी जेर से चोदना हो चोदना।" मेरे लिंग के सिरे ने उसकी गर्म और गीली सुरंग को छुआ। मेरा तो मन कर रहा था कि एक ही धक्के में अपने ७ इन्च अन्दर घुसा दूं पर उसके हाथ ने याद दिलाया कि उसने आहिस्ता करने की मांग की थी। जब हमारे लिंग छुये तो वह कराही। जैसे मैंने अपना लिंग उसकी गर्म योनी में थोड़ा डाला उसने अपने नितम्ब उछाले और मेरा लौड़ा उसकी मक्खन सी योनी में अन्दर तक घुस गया हमारी झंाटे एक दूसरे में मिल गयी और मेरा अन्डकोश उसके नितम्बों के साथ टकराया। उसकी टाइट योनी ने मेरे लिंग को अपने में भींच लिया और इलस्टिक की तरह चौड़ी हो गयी।

मैंने आहिस्ता आहिस्ता वपिस धक्के लगाने शुरू किये। हर धक्के के साथ रिचा ने वापिस जवाबी धक्का दिया। कुछ देर में जब उसकी पुसी को मेरे लिंग की आदत हो गयी तो वह और जोर के धक्के वापिस देने शुरू किये जिस से मेरा लिंग और अन्दर घुसने लगा। मेरे टट्टे उसके नितम्बों के साथ और जोर से टकराने लगे। वह कराही "मुझे और जोर से फक करो। मेरी पुसी तुम्हारे लिंग से मरवाना चाहती है।" उसने अपनी बांहों का हार मेरे गले में डाल कर कहा " राज मुझे जानवर की तरह चोदो।" मैंने उसके नितम्बों को पकड़ कर और तेज़ और जोरदार धक्के लगाये। "मुझे फक करो राज। मुझे जी भर कर चोदो" वह बार बार कह रही थी। आखिर मेरे से रहा नहीं गया और मैं चिल्लाया "रिचा मैं झड़ रहा हूं।" उसने मुस्करा कर कहा "हां मेरी जान झड़ाे़ पर मेरी पुसी में नहीं। अपना लोड़ा निकालो। मैं तुम्हारा रस पीना चाहती हूं।" (समाप्त)

मस्त काम कहानी - १

मैं ऐसे ऑफिस में काम करता हूॅ। जहां काम करने वालों में लड़कियों व लड़कों की संख्या बराबर है । अधिकतर लड़कियां मिडल क्लास खानदानों से हैं जिस के कारण "सदाचार" का बहुत असर है चाहे आजकल के मॉर्डन ज़माने में इनका कोई मुल्य नहीं है ।

परन्तु इन सब लड़कियों में रिचा बिलकुल अलग है । वह काफी स्लिम है परन्तु उसके मम्मे और नितम्ब लाजवाब हैं । वह ५ फुट ३ इंच ऊंची है और उसकी छाती धरती की खींच को भी झुठला देती है। किस्सा तब शुरू हुआ जब हम दोंनों को किसी मीटिंग के लिये लन्च टाइम पर जाना पड़ा। जैसे आमतौर पर होता है मीटिंग कुछ घंटे चली और हम दोनों को बहुत भूख लग रही थी। कार की तरफ जाते हुये मैंने रिचा को कहा कि विम्पी या मैकडौनल्ड या के०एफ०सी० जो पास में थे जा कर नाश्ता कर लेतें हैं। रिचा बरगर नहीं खाना चाहती थी इस लिये हम के०एफ०सी० में घुस गये और क्रिस्पी चिकन ऑर्डर किया। कुछ देर बातें करते वार्तालाप कॉलेज ब्वायफ्रैन्डो इत्यादि की तरफ बढ़ा। रिचा ने बताया कि उसके कई पुरूष दोस्त हैं पर कोई ऐसा नहीं जिसे ब्वायफ्रैन्ड कहा जा सके।

यह तो हर भारतीय लड़की से समाज की चाह है कि उसके मां बाप उसके लिये एक लड़का ढूंढे और शादी करवा के लड़की को ऐसी ज़िदगी में धकेल दें जिस में उसकी बिलकुल नहीं चलती। खुशी या निरार्शा पति व ससुराल के अत्याचार्र किसी पर उसकी सुनवाई नहीं होती। रिचा ने मुझे बताया कि उसके पिताजी का देहांत तकरीबन दो वर्ष पहले हो गया था और घर पर सबसे बड़ी है। घरबार उसकी कमाई से ही चलता है। हालंकि अपनी ज़िन्दगी से उसे कोई शिकायत नहीं है पर उसके भाईयों का पढ़ाई छोड़ना और दोस्तों के साथ गुलछर्रे मनाना सबसे बड़ी समस्या है। इस कारण शादी की तरफ तो रिचा का ध्यान ही नहीं गया। चाहे उसकी आजकल की ज़िन्दगी कोई खास अच्छी नहीं है पर वह शादी से बहुत डरती है क्योंकि क्या पता उसका शौहर उसे प्यार करेगा या उसे बस एक अपनी हवस उतारने का साधन या बच्चे पैदा करने वाली मशीन बना के रख देगा। मैंने रिचा को २५ वर्ष की आयु में भी समझदार और दूरदर्शी पाया। जैसे जैसे बातें होती रहीं कुछ देर बाद र्वातालाप सेक्स के विषय के आस पास मंडराने लगा। जैसे कि रिचा ने कहा कि वह ढीले ढाले कपड़े इस लिये पहनती है क्योंकि उसकी चुचिया बड़ी हैं और बसों में सफर करते हुये वह अपनी तरफ ध्यान आर्कशित नहीं करना चाहती।

उसने यह भी कहा कि वह टाइट ब्रा पहनती है क्योंकि जब उसे भाग कर बस पकड़नी होती है तो उसकी चुचिया उछलती हैं। मैंने देखा खि जब रिचा बातें कर रही थी तो उसने अपने कंधे पीछे कर दिये थे और उसके दुधिया रंग की चुचिया कपड़ों मैं से उभर कर दिख रही थी। उसके निप्पल उभरे हुये थे और जब वह चिकन अपने रसीले अधरों से चूस चूस कर खा रही थी तो मेरा लण्ड अपने आप खड़ा होना शुरू हो गया। मैंने जब उसे बताया तो उसने शरमा कर अपना सिर मेरी तरफ घुमाया। उसकी सुन्दर मुखड़े से साफ ज़ाहिर था कि वह खुश थी कि उसने एक मर्द को उतेजित किया। वह बोली "आप मुझे अच्छे लगते हो परन्तु आप तो शादी शुदा हो। आप अपने जैसा कोई लड़का मेरे लिये क्यों नहीं ढूंढ देते।" खैर बातें करते करते इतना समय बीत गया कि हमंे एहसास हुआ कि शाम हो चुकी है और रिचा को घर पहुंचना है। चूंूकि हम दोनो का जल्दी अलग होने का मन बिलकुल नहीं था मैने उसे घर छोड़ने का प्रस्ताव दिया। वह कार में आगे की सीट पर बैठ गयी और मैंने गाड़ी चलायी। चलाते हुये मैंने देखा कि वह कनखियों से मेरी लातों के बीच बार बार नज़र मार रही थी और मैं भी उसकी प्यारी चुचिया जो इतनी उभर रहीं थी निहार रहा था। उसके निप्पल भी एैसे तने हुये थे जैसे कि ब्रा और कमीज़ में छेद कर देंगे। वह अपनी लम्बी व सुन्दर जांघों को कभी एक दूसरे के उपर रख रही थी और कभी उतार रही थी और ऐसे करते हुये बहुत सैक्सी लग रही थी। पर उस दिन और कुछ नहीं हुआ पर एक दूसरे का साथ हमें इतना अच्छा लगा कि हमने यह निश्चय किया कि हम ऑफिस के बाहर फिर मिलेंगे।

स्वभाविक था कि रिचा के इस बात का डर था कि कोई हमें देख न ले इस लिये यह भी तय हुआ कि जब भी हम बाहर निकलेंगे कार में लम्बी सैर के लिये चलेंगे। कुछ दिनों बाद हमने बाहर मिलना शुरू कर दिया। शहर के बाहरी तरफ जा कर हम खूब गप्पें मारते थे। हमारी बातें अपने परिवार अपनी समस्याआें। खास कर अपनी कामनाआें के बारे में थी। रिचा अभी कुंवारी थी परन्तु उसे सैक्स का बहुत सीमित ज्ञान था। यह स्थिति हर मिडल क्लास घर में पायी जाती है। मैं तो उसके स्तनों के साथ खेलने उसके कोमल अधरों को चूमने नर्म जांघों को सहलाने। उसकी पैंटी में घुसने के लिये बहुत तत्पर था परन्तु सीधापन देख कर मैंने निश्चय किया कि हर काम आहिस्ता होना चाहिये। वैसे भी मैं इस बात में विश्वास रखता हूॅं कि सैक्स और इश्क की पूर्ती तभी होती है जब दोंनो भागीदार बराबरी से शरीक हों। मैं चाहता था कि रिचा प्यार के बुखार में बहुत गर्म हो। जो न तो औफिस और न ही शहर में हो सकता था कियोंकि समाज की रोकें ऐसा होने नहीं देंगी। बातों के दौरान यह भी बिना बोले स्पष्ट था की जीवन की नइय्या पर इस नाते का कोई असर नहीं होना चाहिये। ना तो मेरी शादीशुदा ज़िदगी पर और ना रिचा के लड़का ढूंढने के संयोगों पर। रिचा अपने तरीकों से मेरी तरफ आकर्षण का इज़हार करती थी। जैसे कि मेरे कोट से धागे के कतरे हटाना या मेरी मूंछों से खाने का कतरा साफ करना इत्यादि और मैं भी उसकी पीठ पर हक से हाथ फेर कर या सड़क पार करते हुये उसके प्यारे नितंबों पर हाथ रख कर जैसे उसे पार करवा रहा हूं। जब भी उसके नितंबों को दबाता था तो ऐसा लगता था कि मैं सातवें आसमन में पहुंच गया हूं कसे और गोल और फिर भी इतनी नर्म और मखमली।

हमें मौका अचानक तब मिला जब हमारे अफसर ने बताया कि कम्पनी ने जयपुर में एक नुमायश में हिस्सा लेने का निश्चय किया है और रिचा हमारे स्टाल को देखेगी जब कि मैं नुमायश के सेमिनार अटैंड करूंगा। पोज़िशन के हिसाब से मेरी बुकिंग एक ५ स्टार होटल में की गर्उ थी और रिचा को एक पास के होटल में ठहराया ग्या था। नुमायश पास में एक प्लाज़ा में थी जे कि लगभग १ किलोमीटर दूर था। रिचा इस प्रोग्राम के बारे में सुन कर खुश तो बहुत हुई परन्तु उसे अभी अपनी मम्मी को मनाने की बाधा अभी पार करनी थी। भगवान का शुक्र था कि यह काम हमारे बॉस ने कर दिया। तो प्रोग्राम अनुसार मुझे रिचा को सुबह अपनी कार में लेना था और हम जयपुर के लिये रवाना होंगे। ५ घंटे का सफर जिसकी हम दोंनो को बेसब्री से इन्तज़ार थी। आखिरकार वह दिन चढ़ा और हम जयपुर के लिये रवाना हुये। सफर तो कोई खास नहीं था बस यही अन्तर था कि लोगों की नज़रों से दूर हमारे हाथों को एक दूसरे को छूने की छूट थी चाहे कपड़ों के उपर से।रिचा बहुत अच्छे मूड में थी क्यूंकि वह अपने शहर से कम ही निकलती थी। शाम को नुमायश से सीधे हम कार में जयपुर शहर और बाज़ारों की सैर करने निकल गये। रिचा के पास काफी डिब्बे थे जिन में हमारी कम्पनी के उत्पाद के बारे में पैम्फलेट और एक प्रोजेक्टर था जो हमने कार में रख दिया। बातें करते हुये हम काफी छेड़ छाड़ कर रहे थे। चूंकि हम अपने शहर से दूर थे और हमें कोई जानता नहीं था रिचा तो बहुत ही मस्त थी।

आपको याद होगा कि मैंने पहले बताया था कि रिचा ढीले ढाले पहनती है पर उसके पास कुछ ऐसी सलवार कमीज़ें भी थी जो उसकी सुंदर देह को इतना सेक्सी दिखाती थीं की मेरा आपे में रहना कठिन हो रहा था। उस दिन रिचा ने एक टाइट कमीज़ पहनी हुई थी जिस से उसके मम्मे उभर कर जैसे चिल्ला रहें हो कि इन्हें दबाओ। मैंने सोचा शायद रिचा मुझ से रोमांस करना चाहती है परन्तु मैं बनती बात बिगाड़ना नहीं चाहता था तो इस बात की पुष्ठी करने के लिये कोई कदम नहीं उठाया। होटल पहुंचने तक मैं रिचा की सुन्दर छवी के बारे में ही सोचता रहा। उसका गठा बदन बड़े बड़े स्तन उसकी पतली कमर और सीट पर रगड़ते हुये उसके नर्म गोल गोल नितंब। चूंकि नुमायश का सामान गाड़ी में छोड़ा नहीं जा सकता था मैंने कहा क्यों ना इन्हें मेरे कमरे में रख दें। कुछ देर की चुप्पी के बाद रिचा ने हामी भरी पर कहा कि कमरे में मैं अच्छे पुरूष की तरह बरताव करूं और मौके का फायदा ना लेने की कोशिश करूं।रिचा होटल की चमक दमक से इतनी मोहित थी कि प्रशंसा के पुल बांधती जा रही थी और बार बार कह रही थी कि उसने एैसी जगह कभी नहीं देखी। कमरे में पहुंच कर मैंने रिचा को पूछा कि वह क्या पीयेगी। मैं जानता था कि उसे शराब की गंध से सख्त नफरत है इसलिये मैंने उसके लिये "स्क्रूड्राइवर" का ऑर्डर दिया वोडका ह्यजिसमें कोई गंध नहीं होतीहृ और संतरे के जूस का मिष्रण जिससे उसे संतरे का ही स्वाद आये। रिचा को बहुत प्यास लग रही थी इस लिये उसने पूरा गिलास एक ही बार में गट गट करके पी लिया। बैठे बैठे जैसे कि थकान के कारण रिचा ने एक बहुत ही सैक्सी अंगड़ाई ली जिससे उसके मम्मे उभर गये जैसे कि दबाने का निमंत्रन दे रहे हों।

मैंने पूछा "क्या तुम्हारा सैक्स का मन नहीं करता"। उसने कहा "करता तो है पर कैसे करूं"। मैंने फिर पूछा "क्या तुम अपनी पुसी या योनी से खेलती नहीं " इस प्रश्न से वह वह पहले तो चौंकी और फिर बोली "ऊपर से सहलाने से कुछ कुछ अच्छा लगता है। मैंने टुथब्रश का हैंडल अन्दर डालने की कोशिश की थी पर दर्द के कारण ऊपर से मल कर रह गई।" मैं इन ख्यालों में खो गया कि रिचा का चुम्मा लेने में कितना मजा आयेगा। उसके प्यारे प्यारे निप्पल जेा ब्लाउज़ के नीचे साफ खड़े दिख जैसे चुसने और च्यूंटी मारने का निमंत्रन दे रहे हों। उसके कोमल हाथ मेरे लण्ड को सहला रहे हों। उसकी जीभ मेरे लण्ड को प्यार से चाट रही हो। उसके प्यारे होंठ मेरे लण्ड से निकले हुये अम्रत के कतरों को चाट रहें हैं। मेरा मन तो अपने गन्ने को उसके प्यारे मूंह में सरका के अपने र्वीय की वर्षा करने का कर रहा था। मैंने अपनी कल्पना पर लगाम लगाने की बहुत कोशिश की पर कुछ बस में नहीं लग रहा था। मैं रिचा की योनी की खु़शबू की कल्पना करता जा रहा था। क्या उसकी योनी ने अभ्यास किया कि अपने अन्दर सख्त टुथब्रश को भींच कर पकड़ ले। उसकी योनी के बाल नर्म और रेशमी होंगे क्या उसकी योनी भरपूर फिसलन के साथ गीली होगी। मेरे लण्ड को उसकी म्यान कितनी गर्मी पहूंचायेगी। मैं उसके कान के बूंदों वाली जगह को चाटना चाहता था। उसका मखमली पेट मेरे पेट को सहलाये। जब वह मेरे रसों को पी जाये तो अपने बैठे लण्ड को जैसे ही रिचा की जांघों पर रखा तो वह तन कर उसकी योनी में फिर दाखिल होने को तैय्यार हो जाये। जब वह झड़ने को तैय्यार हो तो क्या उसका स्वंयबल इतना कम हो जाता है कि उसकी सिसकियां बढ़ जाती हैं और वह अपने प्रेमी को ओर जोर से करने के लिये उतेजित करती है या नहीं। या चुप रहने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों से काटती है। सवालों की सूची का कोई अन्त नहीं था और मेरे लिये एक जनून बन गयी थी।

रिचा पेशाब करने बाथरूम गयी और जब लौटी तो हैराानगी में बोली "इतना सुन्दर बाथरूम है। इसमें तो टब भी है और शावर भी।" विचारमग्न होते हुये बोली "मेरा मन हमेशा टब में नहाने का करता रहा है। आपको पता है कि मुझे बरसात का मौसम कितना पसंद है। शावर में बिलकुल बरसात की तरह नहा सकती हूं।" मैंने उसके कान में फुसफुसा के कहा "दोनों काम हो सकते हैं।" मैं कलपना कर रहा था उसकी नंगी सैक्सी देह शावर के नीचे उसके मम्मों से टपकता पानी जो टांगों के बीच उसकी योनी से होता हुआ सुन्दर लातों पर छोटी छोटी नदियां बनाता हुआ टब में गिर रहा था। "मैं गरम पानी चला देता हूं। टब भर जाये तो उस में तुम दोनों काम कर सकती हो।" वह जल्दी से मुड़ी उसके स्तन झूले और वह बोली "राज क्या कह रहे हो। मेरे पास यहां न तो कपड़े हैं और न ही तौलिया। अच्छा अब डिनर कर लेंऋ फिर मुझे होटल भी जाना है। सारा दिन नुमायश में खड़ी खड़ी मैं बहुत थक गयी हूं।" वह मुस्करायी और मैं कामना के तूफान में कुछ न कह सका। डिनर खा कर हम वपिस कमरे में पहुंचे।

मैंने मज़ाक में सुझाव दिया कि वह वहीं कमरे में क्यों नहीं रूक जाती। रिचा ने हॅस कर जवाब दिया "राज एक जैन्टलमैन की तरह मुझे इन चीज़ों को गाड़ी में पंहुचाने में सहायता करोगे कि नहीं" और कागज़ों के ढेर व डिब्बों की तरफ इशारा किया। हमने दिब्बे उठाये और कमरे से बाहर ले जा कर रखने लगे। रिचा मेरे पीछे थी इसलिये दरवाज़ा बंद करने के लिये झुकी तो उसके प्यारे गोल गोल नितम्ब मेरे मूंह के सामने झूमें कि अचानक एक चीख मारी और मेरी ओर गिरी। मेरे हाथों में दिब्बे होने के कारण मैंने उसे गिरने से बचाने के लिये अपने आप को आगे किया। रिचा ने एक हाथ से मेरा कंधे का सहारा लिया और दूसरे हाथ से मेरी बैल्ट के बकल को पकड़ कर मेरे खड़े लण्ड की तरफ धक्का दिया। च्यूंकि मेरा लोड़ा तन तना कर खड़ा था यह पक्का था कि उसके हाथों ने मेरी उतेजता को भंाप लिया होगा। उठते हुये रिचा का बांया स्तन मेरी दंायी बंाह से रगड़ा। मैं इतना उतेजित हो गया जितना पूरे दिन में न हुआ था। उसने कहा "उफ़ बाल बाल बची। शुक्र है कि आप पास थे।" मैने कहा "कुछ भी तो नहीं था" और अपनी फटी आवाज़ पर काबू करने की कोशिश की। रिचा एक पल के लिये चौघियाई और उसके प्यारे मुखड़े पर मुस्कराहट की रोशनी चमकने लगी। उसने अपना हाथ मेरी बैल्ट से हटाया और गिरे हुये कागज़ों को बटोरने लगी।

अचनक खड़ी हो कर उसने कहा "कूछ तो था राज। आपने मुझे गिरने से तो बचाया ही लेकिन आपके हाथों से एक भी डिब्बा नहीं गिरा। मेरे ख्याल में आपको एक चुम्मी का इनाम मिलना चहिये।" मेरा लण्ड फड़कने लगा। रिचा ने मेरे होंठों पर चुम्मा लिया। उसका मूंह पूरा खुल नहीं था। उसकी ज़ुबान मूंह के अंदर ही थी पर मूंह पूरा बंद भी नहीं था।उसके होंठों के स्पर्ष से मेरा मूंह खुला और मेरे होंठों ने उसके होंठों को खोला ताकि मेरी ज़ुबान उनको चाट सके। मेरा शरीर उसके शरीर से चुम्बक की तरह चिपका हुआ था। मेरी बांहें उसके पीछे थी और उसके मुलायम नितंबों को सहला रहीं थी। उसकी बांहें मेरे गले के उपर लिपटी थी और वह मेरे साथ चिपकी हुयी थी। उसकी प्यारी देह मेरे उतेजित लण्ड के साथ रगड़ रही थी। रिचा ने वापिस उसी उतेजना के साथ मुझे चूमा और उसकी ज़ुबान ने मेरे मुंह के अन्दर ताांडव नृत्य शुरू किया। यह पूर्ण शरीर का चुम्मा था जिसमें भविष्य में कामुकता का वादा था। जो सम्भोग से भी कहीं अधिक उतेजना पैदा कर गय था। मुझे एहसास था कि रिचा मुझ से अपनी गीली योनी में अपना लण्ड डालने की मंाग करेगी। जेा अन्दर बाहर तब तक आरी की तरह चलेगा जब तक हम दोंनों प्रबल उतेजना की बाढ़ में बह जायेंगे। वह मुझे अपनी योनी को ज़ुबान से इतना उतेजित करने को कहेगी कि उससे खुशी के आंसु बहने शुरू हो जायें। वह किसी भी कीमत पर मेरे लोड़े को चूसने की अनुमती मांगेगी और फिर इतना चाटेगी और चूसेगी कि मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारियंा उसके मुखड़े पर वर्षा करेंगी। और उससे अपनी नर्म चमड़ी पर मालिश करेगी कि कामुकता में मेरा बीज और गंध उसमें समा जायें। मुझे उन सब सवालों का जवाब पता था।

मुझे उसके नशीले होंठों कामुक्त निप्पलों़़ सैक्सी नाभी मीठी योर्नी सब का स्वाद पता था। मुझे उसकी पीठ़़ उसके नितम्बों उसके हाथ मेरे ट्टटों पर और मेरा लण्ड पर उसकी कोमल योनी की पकड़। सब का र्स्पश पता था। उसकी सिस्कियां जो संगीत की तरह थी उन पर नाचना आता था। ओह कितना उतेजित करने वाला मेरे लण्ड को चूसना उसकी ज़ुबान का मेरे लण्ड के टोपे पर झूमना उसके मूंह की नर्मी जो मेरे लण्ड को और भी उतेजित कर रही थी कि मैं आपे से बाहर हो कर अपने वीर्य की वर्षा उसके स्तनों हाथाे़ं बांहों योनि पर करने से रुक नहीं पाया। इन सब चीज़ों का ज्ञान मुझे उन पलों में आया जब रिचा और मैं कस कर आलिंगन कर रहे थे और कामुक्ता के बुखार में विर्सजित हो कर अपनी अन्दर की भावनाआें को प्रकट कर रहे थे। मैंने अपने हाथों को उसके नितम्बों से सरका कर उसके उभरे हुये स्तनों पर रख दिया। हम अचनक अलग हुये और आंखे खोली। रिचा ने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे कार की लाइट में एक हिरण चौंकता है और सिर हिला कर बोली "हम ऐसे नहीं कर सकते"। मैंने बुझे स्वर में कहा "रिचा हम तैय्यार हैं। हमें अब अगला कदम लेना है।" वोह चीखी "नहीं। हम चुदाई नहीं कर सकते। हमारे सम्बंध दफ्तर के काम के कारण हैं। हम इक्ठ्ठे काम करते हैं।" "ओह रिचा। तुमने वही अनुभव किया जो मैंने अनुभव किया। मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं रिचा बिलकुल वैसे ही जैसे तुम्हारी योनी मेरे लण्ड की प्यासी है।" मैं बहुत उतेजित था और मेरी सांस भी फूल रही थी। किसी तरह शब्द मेरे मूंह से निकले "मैं तुम्हारे कपड़े उतारूंगा और तुम मेरे। तुम मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेने को तत्पर हो। तुम मेरे बड़े लोड़े को अपने मूंह में ले कर इसका स्वाद लेने का इन्तज़ार नहीं कर सकती। मुझे पता है कि अभी जो चुम्मा लिया था वह चुदाई से कम नहीं था। हमने चुदाई तो कर ली है बस अब फिर से करनी है।" उसने सिर हिला कर कहा "नहीं।" "तुम मेरी जान हो और मैं तुम्हारा ग्ा़ुलाम।" वह चुपचाप मेरी तरफ देखती रहै।

"रिचा"

मैं उसकी तरफ बढ़ा "यह हमारे बस में नहीं है। और कोई रास्ता भी नहीं है। मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है और तुम्हें मेरी। जब हम कर नहीं लेते तुम मेरे बारे में सोचती रहोगी। तुम करना चाहती हो।" मैं रिचा को अपनी बांहों में लेने के लिये और उसका चुम्म लेने के लिये आगे बढ़ा "तुम्हें यह चहिये। तुम्हें दुनिया में इस पल इससे ज़्यादा और कुछ नहीं चाहिये।" वह झटक कर अचानक अलग हो गयी और कस के मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा। "नहीं" वह चिल्लाई। "मैं ऑफिस का तुम्हारा एक किस्सा नहीं बनना चाहती। मुझे तुम्हारा लौडा नहीं चाहिये।" अब वह गुस्से से लाल हो गई थी। "मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं है। एक दिन मेरा भी शौहर होगा जे मेरी योनी की चुदाई करेगा। मैं उसका इन्तज़ार कर सकती हूं। जब वोह चाहेगा मैं उसका लण्ड भी चूसूंगी। और तुम्हारी बीवी भी तो है। तुम एक अय्याश हरामज़ादे हो।"

मैं उसके गुस्से से दंग रह गया। क्या मैंने उसकी उतेजित अवस्था को गलत समझा था। क्या उसका पैंट के ऊपर से लण्ड का छूना उसकी मुस्कानाे़ं उसकी चुलबुलेपन को गलत पढ़ा था। क्या मैं इतना गया गुज़रा हूंऋ वह ऐसे झूठ क्यों बोल रही हैऋ क्या मैं पागल हो गया हूंऋ रिचा कमरे में आगे पीछे घूमने लगी और वैसे ही जोर जोर से बोलने लगी " और यह प्यार व्यार तकदीर सच्ची मोहब्बत। यह सब जो तुम कह रहे हो कहीं नहीं मिलते। मेरे पास प्यार है और मुझे यह किसी साथ में काम करने वाले से एक अशलील किस्से के रूप में नहीं चाहिये। मेरे से ऐसी बातें न करो।" मेरे दिल में तूफान चल रहा था। मेरा सिर चक्कर खा रहा था और मैं बाथरूम की तरफ भागा। लम्बी सांसे ले कर और मुॅह पर पानी फेंक कर मैंने अपनी दिल की तेज़ रफ्तार को कम किया। फिर मैं वपिस रूम में आ कर बैड पर लेट गया। एक टक छत को देखता रहा। मेरा दिमाग उबल रहा था। मैंने अपने दफ्तर का सबसे अच्छा दोस्त तो खो ही दिया था। और यदि वह इस बारे में हमारे मैनेजर से कह देती है तो शायद नौकरी भी। और बात अगर घर तक पहुंच जाती है तो शादी का भी क्या कहना। लगता है कि मैं पागल हो रहा हूं। मैंने अपना सर तकिये पर रखा और रोने वाला हो गया। मैंने अपने आप से कहा "राज इस बार तो अपनी चुदा ली है।" शायद मेरी आंख कुछ पलों के लिये लग गयी क्योंकि जब होश आया तो मेरी गालें गीली थीं। किसी ने पुकारा "राज"।
मैंने अपनी गालें पोंछी और बोला "क्या"।

"राज मेरी तरफ देख सकते हो"

Tuesday, May 26, 2009

काम रस का आनंद बॉस के साथ

बात उस समय की है जब मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम कर रहा था।
मिस रश्मि मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५’८" और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट। अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी।

मैं नया नया आया था। इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढ़ाने की गुस्ताखी कर चुका था। पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाओं में मेरा सारा जोश काफूर हो गया। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस-मेडन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले दया ऊपर वाली की मर्जी क्या है।
एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उस दिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।

अगले दिन जब मैं नौ बजे ऑफिस पहुंचा तो देखा कि रश्मि मैडम मेन-गेट के सामने खड़ी हैं। मैंने उन्हें विश किया और पूछा, "आप यहां क्या कर रही हैं?"
बोलीं, "बस ऐसे ही घर में बोर हो रही थी तो सोचा कि यहां आकर तुम्हारी मदद करूं !"
हम दरवाजा खोलकर अन्दर गए।
मैडम ने कहा कि आज इतवार होने की वजह से कोई नहीं आएगा। इसलिए सुरक्षा के ख्याल से दरवाजा अन्दर से बन्द कर लो।

मैंने उनके कहे अनुसार दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था। मुझे रश्मि मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी। दाल में जरूर कुछ काला था। नहीं तो भला आज छुट्टी के दिन एक छोटी सी समस्या के लिए उन को दफ्तर आने की क्या जरूरत?
मैडम घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी मन्त्रमुग्ध सा उनके पीछे पीछे चल दिया। पूरे माहौल में उनके जिस्म की खुशबू थी। जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनकी पिछाड़ी पर गौर किया।
हाय क्या फिगर था। हालांकि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूँ पर यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि अगर रश्मि मैडम किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग ले तो अच्छे अच्छों की छुट्टी कर दें और देखने वाले अपने लिंग संभालते रह जाएं। उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट-वॉक कर रही हो। उनके नितम्ब पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे।

उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंग पारदर्शी साड़ी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी। उन्होंने साड़ी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उनके नितम्बों की घाटी शुरू होती है। बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था। सारे पत्ते खुले हुए थे।
अगर मुझमें जरा भी हिम्मत होती तो साली को वहीं पर पटक कर चोद देता। पर मैडम के कड़क स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए चुपचाप उनके पीछे पीछे चलता रहा।
मैडम ने कल्पना के लिए बहुत ही कम छोड़ा था। साड़ी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके मादक नितम्ब और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों नितम्बों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी।
मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके नितम्ब अलग अलग दिशाओं में चल रहे थे। पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते। मानो उनकी गाण्ड खुल बन्द हो रही हो। जब दोनों नितम्ब पास आते तो उनकी साड़ी गाण्ड की दरार में फंस जाती थी। यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साड़ी के साथ साथ अपने लिंग को भी उनकी गाण्ड की दरार में डाल दूं।
बड़ा ही गुदाज बदन था रश्मि मैडम का।

लैब तक पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गई थी और मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रूका जाएगा। लैब के दरवाजे पर पहुंच कर मैडम एकाएक रूक कर पलटी और मुझसे ऊपर की सेल्फ के केबल कनेक्शन जांचने को कहा। उनकी इस अचानक हरकत से मैं संभल नहीं पाया और अपने आप को संभालने के लिए अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए।
मैडम ने एक दबी मुस्कराहट के साथ कहा, "कोई शैतानी नहीं !" और मेरे हाथ अपनी कमर से हटा दिए। मैंने झेंपते हुए उनसे माफी मांगी और लैब में ऊपर की सेल्फ से कम्प्यूटर हटाने लगा। मैडम भी उसी सेल्फ के पास झुककर नीचे के केबल देखने लगी।
उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया जिससे कि उनकी चूचियों का नजारा मेरे सामने आ गया। हाय क्या कमाल की चूचियां थीं।

एक पल को तो लगा कि दो चांद उनकी चोली में से झांक रहे हों। वो ब्रा नहीं पहने थी जिससे कि चुचुक दर्शन में कोई रूकावट नहीं थी। और काम करना मेरे बस में नहीं था। मैं खड़े खड़े उस खूबसूरत नजारे को देखने लगा। चोली के ऊपर से पूरी की पूरी चूचियां नजर आ रही थीं। यहां तक कि उनके खड़े गुलाबी निप्पल भी साफ मालूम दे रहे थे।
शायद उन्हें मालूम था कि मैं ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं। इसीलिए मुझे छेड़ने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी चूचियां नजर आने लगीं।
हाय क्या नजारा था। मैं खुशी खुशी चूचियों की घाटी में डूबने को तैयार था। ऐस लगता था मानो दो बड़े बड़े कश्मीरी सेब साथ साथ झूल रहो हों। एकाएक मैडम ने अपना सर ऊपर उठाया और मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड़ लिया। जब हमारी नजर मिली तो अपने निचले होठ को दांतों में दबा कर मुस्कराते हुए बोली "ऐ ! क्या देखता है?"
मैं सकपका गया और कुछ भी नहीं बोल पाया।

मैडम ने मेरे नितम्बों पर हल्की सी चपत जमा कर कहा, " शैतान कहीं के ! फ्री शो देख रहा है !"
मेरा चेहरा लाल हो गया उनके मुस्कराने के अन्दाज से मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा लिंग जीन्स के अन्दर ही तन कर बाहर निकलने को बेचैन होने लगा। मैंने अपनी जीन्स को हिला कर लिंग को ठीक करने की कोशिश की पर मुझे इसमें कामयाबी नहीं मिली। लिंग इतना कड़ा हो गया था कि पूछो मत। बस ऊपर ही ऊपर होता जा रहा था और मेरी जीन्स उठती ही जा रही थी।
मैडम ने मेरी परेशानी भांप ली और शरारती मुस्कराहट के साथ बोली, "ये तुमने पैन्ट में क्या छुपाया है जरा देखूं तो मैं भी !"
जब तक मैं कुछ बोलूं उन्होंने खड़े होकर मेरे लिंग को पकड़ लिया और पैन्ट के ऊपर ही से कर दबा दिया, "हाय बड़ा तगड़ा लगता है तुम्हारा तो। बड़ा बेताब भी है ! बस ऐसा ही लिंग तो मुझे पसन्द है।"
मैं तो हक्का बक्का रह गया। मैडम रश्मि मेरे साथ फ्लर्ट कर रही हैं। मिस आइस-मेडन का यह गरम रूख देख कर मेरी तो बोलती ही बन्द हो गई और मैं उनकी हरकतें देखता रह गया। चूंकि मैं टेबल के ऊपर खड़ा था इस लिए मेरा लिंग उनके मुंह की ठीक सीध में था। वो अपने चेहरे को और पास लाईं और पैन्ट के ऊपर ही से मेरे लिंग को चूमते हुए बोली "इसे जरा और पास से देखूं तो क्यों इतना अकड़ रहा है" ऐसा कहते हुए मैडम रश्मि ने मेरी जीन्स की जिप खोल दी।

मैं आम तौर पर अन्डरवियर नहीं पहनता हूं। लिहाजा जिप खुलते ही मेरा लिंग आजाद हो गया और उछलकर उनके चेहरे से जा टकराया।

"हूंऽऽ ! ये तो बड़ा शैतान है। इसे तो सजा मिलनी चाहिए !" मैडम ने अपने सेक्सी मुंह को खोला और मेरे सुपाड़े को अपने रसीले होठों में दबा लिया। मैं तो मूक दर्शक बन कर सातवें आसमान में पहुंच गया था। जिस मैडम रश्मि के पीछे सारा आफिस दीवाना था और जिनके बारे में सोच सोच कर मैंने भी औरों की तरह कई कई बार मुठ मारी थी यहां एक रंडी की तरह मेरा लिंग चूस रही थी।
मैंने मैडम का सर पकड़ कर अपने लौंड़े पर दबाया और साथ ही साथ अपने नितम्बों को आगे धक्का दिया। एक ही झटके में मेरा पूरा लिंग मैडम के मुंह में कंठ तक घुस गया। उनका दम घुटने लगा और उन्होंने अपना सिर थोड़ा पीछे किया।

मुझे लगा कि अब मैडम मुझे मेरे उतावलेपन के लिए डांटेगीं।
मैं बोला "सॉरी मैडम ! मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया !"
उन्होंने बोलने से पहले मेरा लिंग अपने मुंह से निकाला और मुस्कुराई, "धत पगले ! मैं तुम्हारी हालत का अन्दाजा लगा सकती हूं। लेकिन ये मैडम मैडम क्या लगा रखी है? तुम मुझे रश्मि कह कर बुलाओ ठीक है ना ! अब मुझे अपना काम करने दो !"

ऐसा कह कर मैडम ने एक हाथ में मेरा लिंग पकड़ा और शुरू हो गई उसका मजा लेने में। वो लिंग को पूरा का पूरा बाहर निकाल कर फिर दोबारा अन्दर कर लेती। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर उनका मुंह चोदने लगा। कुछ देर बाद वो बोली, "बस इसी तरह खड़े खड़े कमर हिलाने में क्या मजा आएगा? थोड़ा आगे बढ़ो !"
मैंने उनका इशारा भांप लिया और पहले उनके गालों को सहलाया। फिर धीरे धीरे हाथों को नीचे खिसकाते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचा और उनकी चोली का स्ट्रैप खोल दिया। दोनों मस्त चूचियां उछल कर बाहर आ गई। मैडम ने भी मेरी जीन्स खोल दी और बिना लिंग मुंह से बाहर किए नीचे उतार दी। फिर लिंग चूसते हुए वो अपनी चूचियों को मेरी जांघों पर रगड़ने लगी।

मैंने थोड़ा झुक कर उनकी चूचियों को पकड़ा और कस कस कर मसलने लगा। जल्द ही हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हमारी सांसें तेज हो गई।

मैं बोला, "मैडम मैं पूरी तरह से आपको मजा नहीं दे पा रहा हूं। अगर इजाजत हो तो मैं भी नीचे आ जाऊं?" मैडम ने मुझे गुस्से से देखा और हौले से सुपाड़े को काट लिया। वो बोली "तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो ! अगर मैं बोलती हूँ कि मुझे रश्मि कह कर पुकारो तो तुम मुझे रश्मि ही कहोगे मैडम नहीं !"
मैं बोला "सॉरी रश्मि अब तो मुझे नीचे आने दो !"
रश्मि ने मेरा हाथ पकड़ कर नीचे उतरने में मदद की। नीचे आते ही मैंने उनके नितम्बों को पकड़ा और अपने पास खींच कर होठों को चूमने लगा। अब मैं उनके होठों को चूसते हुए एक हाथ से नितम्ब सहला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनकी चूचियों से खेल रहा था।
रश्मि मेरे लिंग को हाथ में पकड़ कर सॉफ्ट टॉय की तरह मरोड़ रही थी। मैंने रश्मि की साड़ी पकड़ कर खींच दी और पेटीकोट का भी नाड़ा खोल कर उतार दिया। रश्मि ने भी मेरी टी शर्ट उतार दी और हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए।

एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते हुए हम वहीं जमीन पर लेट गए। चूत की खुशबू पा कर मेरा लिंग फनफनाने लगा। रश्मि भी गर्म हो गई थी और अपनी चूत मेरे लिंग पर रगड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को कस कर जकड़े हुए किस करते हुए कमरे के कालीन पर लोटपोट हो रहे थे। कभी मैं रश्मि के ऊपर हो जाता तो कभी रश्मि मेरे ऊपर।
काफी देर तक यूं मजे लेने के बाद हम दोनों बैठ कर अपनी फूली हुई सांसों को काबू में करने की कोशिश करने लगे। रश्मि ने अपने बाल खोल दिए। मैं बालों को हटा कर उनकी गर्दन को चूमने लगा। फिर दोबारा उनके प्यारे प्यारे होठों को चूमते हुए उनकी चूचियों से खेलने लगा।
रश्मि मेरा सिर पकड़ कर अपनी रसीली चूचियों पर ले गई और अपने हाथ से पकड़ कर एक चुचुक मेरे मुंह में डाल दी। मैं प्यार से उनकी चूचियों को बारी बारी से चूमने लगा। वो काफी गरम हो गई थी और मुझे अपने ऊपर ६९ की पोजिशन में कर लिया। मैं उनकी रसीली चूत का अमृत पीने लगा। रश्मि अपनी जीभ लपलपा कर मेरे लौड़े को चूसे जा रही थी।

जब भी हम में से कोई भी झड़ने वाला होता तो दूसरा रूक कर उसको संभलने का मौका देता। कई बार हम दोनों ही किनारे तक पहुंच कर वापस आ गए। हमारी वासना का ज्वार बढ़ता ही जा रहा था और बस अब एक दूसरे में समा जाने की ही बेकरारी थी।
रश्मि ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद चित्त हो कर लेट गई। अपने दोनों पैर उठा कर अपने हाथों से पकड़ लिए और मुझे मोर्चे पर आने को कहा। मैंने भी रश्मि के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर टिकाया और लिंग को उसकी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाया। मेरा लोहे जैसा सख्त लिंग एक ही झटके में आधा धंस गया।
रश्मि के मुंह से उफ की आवाज निकली पर अपने होठों को भींच कर नीचे से जवाबी धक्का दिया और मेरा लिंग जड़ तक उसकी चूत में समा गया। फिर मेरी कमर पर हाथ रख कर मुझे थोड़ा रूकने का इशारा किया और बोली, "तुम्हारा लिंग तो बड़ा ही जानदार है। एक झटके में मेरी जान निकाल दी। अब थोड़ी देर धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के मजा लो !"

रश्मि के कहे मुताबिक मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लिंग अन्दर बाहर करने लगा। चूत काफी गीली हो चुकी थी इसलिए मेरे लिंग को ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी। मैं धीरे धीरे चूत चोदते हुए रश्मि की मस्त चूचियों को भी मसल रहा था।
बड़ी ही गजब की चूचियां थी उसकी। एक हाथ में नहीं समा सकती थी। पर इतनी कड़ी मानो कन्धारी अनार। वो चित्त लेटी हुई थी पर चूचियों में जरा भी ढलकाव नहीं था और हिमालय की चोटियों की तरह तन कर ऊपर को खड़ी थी। उत्तेजना की वजह से उसके डेढ़ इन्च के निप्पल भी तने हुए थे और मुझे चूसने का आमन्त्रण दे रहे थे।
मैं दोनों निप्पलों को चुटकी में भर कर कस कस कर मसल रहा था। रश्मि भी सिसकारी भर भर कर मुझे बढ़ावा दे रही थी। आखिर मुझसे नहीं रहा गया और उसके पैरों को कन्धे से उतार कर जमीन पर सीधा किया और उसके ऊपर पूरा लम्बा होकर लेट गया। रश्मि ने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को पकड़ कर पास पास कर लिया और मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने लगा। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया का अमृत उन चूचियों में ही भरा हो। मैं दोनों हाथों से चूचियों को मसल रहा था। चूचियों की मसलाई और चुसाई में मैं अपनी कमर हिलाना ही भूल गया।
तब रश्मि अपने हाथ नीचे करके मेरे नितम्बों पर ले गई और उन्हें फैला कर एक उंगली मेरी गाण्ड में पेल दी। मैं चिहुंक गया एक जोरदार धक्का रश्मि की चूत में लगा दिया। रश्मि खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली "क्यों राज्जा ! मजा आया ? अब चलो वापस अपनी ड्यूटी पर।"

रश्मि का इशारा समझ कर मैं वापस कमर हिला हिला कर उसकी चूत चोदने लगा। रश्मि भी नीचे से कमर उठाने लगी और धीरे धीरे हम दोनों पूरे जोश के साथ चुदाई करने लगे। मैं पूरा लिंग बाहर खींच कर तेजी से उसकी चूत में पेल देता। रश्मि भी मेरे हर शॉट का जवाब साथ साथ देती।
पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी। जैसे जैसे जोश बढता गया हमारी रफ्तार भी तेज होती गई। आखिर उसकी चूचियों को छोड़ मैंने उसकी कमर को पकड़ कर तूफानी रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी। रश्मि भी कहां पीछे रहने वाली थी। वो भी मेरी गर्दन में हाथ डाल कर पूरे जोश से कमर उछाल रही थी।
अब ऐसा लगने लगा था कि हम दोनों ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे पर रश्मि तो एक्सपर्ट चुदक्कड़ थी और अभी झड़ने के मूड़ में नहीं थी। उसने अपनी कमर को मेरी कमर की दिशा में ही हिलाना शुरू दिया।
इससे लिंग अन्दर बाहर होने के बजाए चूत के अन्दर ही रह गया। मेरी पीठ पर थपकी दे कर उन्होंने रफ्तार कम करने को कहा और बोली, "थोड़ा सांस ले लें, फिर शुरू होना। इतनी जल्दी झड़ने से मजा पूरा नहीं आएगा।"
मैंने किसी तरह अपने को संभाल कर रफ्तार कम की। मैं अब उसके रसीले होठों को चूसते हुए हौले हौले चोदने लगा। जब हम दोनों की हालत संभली तो दोबारा रश्मि ने फुल स्पीड चुदाई का इशारा किया और फिर से मैं पहले की तरह चोदने लगा।

रूक रूक कर चुदाई करने में मुझे भी मजा आ रहा था। हमारी इस चुदाई का दौर आधा घन्टे से भी ज्यादा चला। कई बार मेरे लिंग में और उसकी चूत में उफान आने को हुआ और हर बार हमने रफ्तार कम करके उसे रोक लिया।
हालाँकि कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनो पसीने से नहा गए। आखिर रश्मि ने मुझे झड़ने की इजाजत दी। मैं तूफान मेल की तरह उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। वो भी कमर उछाल उछाल कर मेरी हर चोट का जवाब देने लगी। चरम सीमा पर पहुंच कर मैं जोर से चिल्लाया "रश्मि ! आआ आआआआआआ मेरी जान ! मैं आया" और उसकी चूत में जड़ तक लिंग घुसा कर अपना सारा उफान उसके अन्दर डाल दिया।

रश्मि ने भी मेरी पीठ पर अपने पैर बांध कर मुझे कस कर चिपका लिया और चीखती हुई झड़ गई।